Romantic shayari for girlfriend and boyfriend with images
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रोमांटिक शायरी पढ़े
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मैं उस से दो चार साल छोटा था..
वो मुझसे हर बार कहती थी मार खाओगे..।
Mai us se do char saal chota tha..
Wo mujhse har baar kahti thi maar khaoge..
ग़म बाँटे, खुशियाँ बाँटे, उलझनें आधी -आधी कर लें क्या..
जब झगड़ना ही है हमने हर वक़्त तो, शादी कर लें क्या...?
Gam bante, khushiya bante, uljhane aadhi-aadhi kar le kya..
Jab jhagdna hi hai hume hard waqt to shadi kar le kya..?
लिपस्टिक की गारंटी नहीं लेकिन,
मैं काजल ख़राब नहीं होने दूंगा.
Lipstic ki guaranty nhi lekin,
Mai Kaajal kharab nhi hone dunga.
कैसी है मोहब्बत तेरी
महफिल में मिले तो
अनजान कह दिया...
तन्हा जो मिले
तो जान कह दिया....
Kaisi hai mohabbat teri
Mehfil me mile to
Anjan kah diya..
Tanha jo mile
To jaan kah diya...
बैठे हैं चैन से कहीं जाना तो नहीं.,
हम बे घरों का कोई ठिकाना तो है नहीं..
तुम भी हो बीते वक़्त की तरह हू-ब-हू
तुम ने भी याद आना है आना तो है नहीं...
Baithe hai chain se kahi jana to hai nhi.,
Hum be-Gharo ka koi thikana to hai nhi..
Tum bhi ho bite waqt ki tarah hu-b-hu
Tum ne bhi yaad aana hai aana to hai nhi
तू ज़रा सी कम खूबसूरत होती
तो भी बहुत खूबसूरत होती
Tu zara si kam khoobsurat hoti
To bhi bahut khoobsurat hoti..
दिल करता है
तुझे कच्चा चबा जाऊं..
Dil Karta Hai
Tujhe Kaccha Chaba Jaoon
जिगर में आग वफ़ा की जला के देखूंगा..
मैं तुझको कमरे की बत्ती बुझा के देखूंगा..
सुना है होंठ तेरे भी गुलाब जैसे हैं..
मैं अपने होंठो को तितली बना के देखूंगा..
Zigar me aag wafa ki jala k dekhunga..
Mai tujhko kamre ki batti bujha k dekhunga..
Suna hai honth tere bhi gulab jaise hai..
Mai apne hontho ko titli bana k dekhunga..
मुड़े-मुड़े से हैं किताबे इश्क़ के पन्ने..
ये कौन है जो हमें हमारे बाद पढ़ता है..।।
Mude Mude se hai kitabe ishq k panne,
Ye kaun hai jo hume humare baad padhta hai..
वो हैं के जाने को खड़े हैं..
दिल है के बैठा जा रहा है..
Wo hai k jane ko khade hain..
Dil hai k baitha ja rha hai..
बहुत मासूम लड़की है
इश्क़ की बात नहीं समझती
ना जाने किस दिन में खोई रहती है
मेरी रात नहीं समझती
बहुत masoom ladki hai,
Ishq ki baat nhi samajhti..
Na jane kis din me khoi rahti hai,
Meri Raat nhi samajhti..
कोई दिक्कत नहीं है अगर तुम्हें उलझा सा लगता हूँ
मैं पहली मर्तबा मिलने में सबको ऐसा लगता हूँ..
जरुरी तो नहीं हम साथ हैं तो कोई चक्कर हो
वो मेरे दोस्त हैं और मैं उसे बस अच्छा लगता हूँ..
Koi dikkat nhi hai agar tumhe uljha sa lagta hu
Mai pahli martaba milne me sabko aisa lagta hu..
Jaruri to nhi hum saath hai to koi chakkar ho
Wo mere dost hai aur mai use bas accha lagta hu..
दौर-ए-हाज़िर में महबूब से मुलाक़ात के बाद
ग़ुस्ल वाजिब ना हो तो मोहब्बत सच्ची है..
Daur-e-hazir me mehboob se mulakat k baad
Gusl wazib na ho to mohabbat sacchi h..
तेरी सूरत को जब से देखा है...
लोग मेरी आँखों पे मरते है..
Teri soorat ko jab se dekha hai..
Log meri aankho pe marte hai..
मैं तो उससे सारी बहस बस जीतने ही वाला था की..
उसने दोनों हाँथ उठाकर बाल बाँधने शुरू कर दिए..।।
Mai usse sari bahas bas jeetne hi wala tha ki
Usne dono hanth uthakar baal bandhne shuru kar diye..
कुछ इस अदा से आज वो पहलू-नशीं रहे,
जब तक हमारे पास रहे हम नहीं रहे..
Kuch is ada se aaj wo pahlu-nashi rahe
Jabtak humare paas rhe hum nhi rhe
उनकी आँखें समंदर से भी ज़्यादा गहरी थी
तैरना आता था मगर डूबना अच्छा लगा..।
Unki aankhe samandar se zyada gahri thi..
Tairna aata tha magar doobna accha lga..
नहीं मालूम कब से है ताल्लुक तुम से..
तुम्हारा अक्स था दिल में तुम्हारे नाम से पहले..।।
Nahi maloom kab se hai talluk tum se..
Tumhara aks tha dil me tumhare naam se pahle.
आँखें ढूंढती हैं तुम्हें
काश दुनया में..... तुम ही तुम होते
Aankhe dhoondti hai tumhe..
Kaash dunya me... tum hi tum hote..
उसने तारीफ की इस अंदाज़ से मेरी..
अपनी ही तस्वीर को सौ दफ़े देखा मैंने..।।
Usne tarif ki is andaz se meri
Apni hi tasweer ko sau dafe dekha maine...
अब मुझे संभल कर चलना होगा..
उसके गालों में एक गड्ढा है..
Ab mujhe sambhal kar chalna hoga..
Uske galon me ek gaddha h..
मोहब्बत को लाज़िम है आवारगी भी..
नहीं इश्क़ करता असर बैठे बैठे..
Mohabbat ko lazim hai aawargi bhi..
Nahi ishq karta asar baithe baithe..
"तुम" अगर जानना चाहते हो मेरे दिल में कौन है..,
तो पहला लफ़्ज़ दोबारा पढ़ लो..।
"Tum" agar janna chahte ho mere dil me kaun hai..
To pahla Lafz dobara padh lo...।
तमाम अल्फाज़ के मायने ही बदल गए,
वो अपने चेहरे पर सो गई किताब रख कर..
Tamam alfaz ke mayene hi badal gaye.,
Wo apne chehre par so gai kitab rakh kar..
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